Tuesday, August 14, 2012
Sunday, August 12, 2012
मैं किसान हूँ !
मझे अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। मेर कंधे पर 1 अरब 21 करोड़ आबादी के लिए अनाज उगाने का ज़िम्मा है। मैं देश की सबसे बड़ी पंचायत से चंद सवाल करना चाहता हूं। मेर दम पर तुम भोजन के अधिकार देने का सपना देख रहे हो। मेरे और मेरे परिवारो की सुध तुम कब लोगो। क्या संसद में चंद लच्छेदार भाषणों से मेरा संताप मिट जाएगा। मेरे मुश्किलों का हल दिल्ली में बैठकर नही, मेरे खेतों में आकर करो। मेरी दुर्दशा का असली चेहरा दिल्ली से आपकेा नही दिखेगा। मेरा परिवार भी समाज में सम्मान से जीने का हकदार है। मेरे बच्चे भी अच्छी शिक्षा का ख्वाब देखते है। मैं अपने बच्चों के पैसे केा अभाव में मरते तड़पते नही देख सकता। मुझे मेरे सवाल का जवाब दो। जवाब दो। जवाब दो
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